Changes

गांवपणौ / निशान्त

930 bytes added, 10:43, 4 मई 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आं दिनां
बिरखा रो जोर
च्यारूं कूंट हरी-भरी

इसै में
पीठ पाछै झोळी लटाकायां
बो अेक मजूर
पारकै खेत री डोळी सूं
काटै घास
सरड़-सरड़

दूजी कानी
खेत-धणी
काटै जुंवार क्यारी सूं
जरड़-जरड़

बिरखा सूं पै’ली
आ बात कठै ही
जद तो लू ही
बळ्योड़ा खेत हा

बां दिनां
दोनूं दुःखी
आं दिनां
दोनूं सुखी।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits