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10:44, 4 मई 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
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<poem>
बिरखा री रूत रा
अै आखरी दिन
दिन नीं
किरसै री किसमस रा लिखारा है
जे अै चावै तो
लिख द्यै
हंसी-खुसी
नीं तो
गम ई गम
आं दिनां री बिरखा
दो फसलां पकावै
पा अै तो
खाली जावै
दिन नीं
किरसै री रगां रो
सत जावै।
</poem>
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