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09:46, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
आदमी रो दरख्त काटणों
कार चलाणो
बिजली बाळणों
आद तो छोटा कारण है
पर्यावरण परदूसण रा
धरती नै
इत्तो भारी नुकसान तो
पुंचायो है
बां बेमतलब रा
परीक्षणां
जका करया जा रैया है
धरती री कूख में
का आकास में ।
</poem>
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