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10:04, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
तीन-चार सालां बाद
उन्याळै जिस्यो रैयो उन्याळो
अर आयो है स्याळै जिस्यो स्याळो
खेतां मांय उगी खड़ी है
हरी-हरी फसलां
बिचाळकर निसरती
सड़क माथै बळी पड़ी है
अेक कार
बतावण आळां बतायो-
गैस स्यूं चालणआळी कार मांय
गैस स्यूं लागी आग
कुदरत नीं मारणो चावै
आदमी नै
आदमी नै मारसी
आदमी री तकनीक ।
</poem>
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