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10:10, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
मिंदर सांमीकर
टिपती बगत
अेक मोट्यार आप रै
मोटरसाईकिल री
टीं...टीं...बजाई तो
म्है सोच्यो
इण स्यूं देवता जी
राजी हुया कै बिराजी
बियां म्है थानै आप री बताऊं
जद म्हारै पड़ोसी रो छोरो
आप रै मोटरसाइकिल री
फालतू मांय टीं...टीं.... बजावै
तो म्हनै
बड़ी झाळ आवै
</poem>
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