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10:14, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
}}
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<poem>
आखै दिन
कीड़ियां दांई
चिमड़ती रैवै
चिंतावां
झड़कायां ई नीं झड़कै
अलबत
नींद रै मिस
का कीं काम रै मिस
बिसरै थोड़ी भौत ।
</poem>
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