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10:19, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
}}
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<poem>
जादा शरी गम नै
भूलण सारू
आओ ! कीं कम गम नै
याद करां
इयां कीं हळका हुवां
अर टेम नै
धकां ।
</poem>
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