1,057 bytes added,
10:26, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सेठाइज्या है अब तो
राज रा धणी बी
सारी मळाई आप-आप ई
खाणी चावै
अलबत तो काम कींनै’ई
देवै कोनी
अर जे देवै तो
लाद देवै गाडो अेक भार
चायै बो लाई
हुयज्यै बेओसाण
अर चिड़चिड़ो
कट ज्यावै
परवार,समाज अर दुनियां स्यूं
पण इण स्यूं
बां री
चीकणी अर जाडी चामड़ी माथै
के असर हुवै
बांनै तो चाइजै
आपरै कारखानै मांय जूझता
बेजान पुरजा ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader