542 bytes added,
10:39, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
कई बारी
कित्तो आछो
अर सू’णो
मिलै पढण नै
कै जी करै
बांचता रैवां
बांचता रैवां
पण इत्तो टेम
कीं कन्नै है
भणण-गुणण सारू ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader