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सौन्दर्य लहरी / पृष्ठ - ५ / आदि शंकराचार्य
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18:38, 9 मई 2015
उभाभ्यामेताभ्यामुदय विधिमुद्दिश्य दयया ।
सनाथाभ्यां जज्ञेजनक जननीमज्जगदिदम् ॥४१॥
गतै र्माणिक्यत्वं गगन मणिभिः सान्द्र घटितं ।
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