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उठो लाल , अब आँखें खोलो,पानी लाई हूँ, मुँह धो लो ।लो।बीती रात , कमल-दल फूले,उनके ऊपर भौंरे झूले ।झूले।चिड़ियाँ चहक उठी उठीं पेड़ों पर,बहने लगी हवा अति सुन्दर ।सुंदर।
नभ में न्यारी लाली छाई,
धरती ने प्यारी छवि पाई ।पाई।भोर हुआ , सूरज उग आया,जल में पड़ी सुनहरी छाया ।छाया।ऐसा सुंदर समय न खोओ,मेरे प्यारे अब मत सोओ।
ऐसा सुन्दर समय न खोओ''-साभार: सरस्वती,मेरे प्यारे अब मत सोओ ।जून 1915''
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