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हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
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06:04, 14 जुलाई 2015
बड़ी अनोखी तेरे पैरहन की ख़ुशबू है
करीब पा के तुझे झूमता है
मेरा
मन
मेरा
जो तेरे तन की है वो मेरे मन की खुशबू है
SATISH SHUKLA
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