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धन-धन भाग तोरा कवन साही।
बेटा पुतोह घर आयो, बहुआ सुलच्छन आयो॥2॥
काँचहिं<ref>कच्चे</ref> बाँस के डाला<ref>बाँस की कमचियों का बुना हुआ गोलाकार और चिकना टोकरा। </ref> बिनवलों<ref>बुनवाया</ref>।बहुआ के पावों ढरायो<ref>ससुराल आने पर उसे डोली<ref>,पालकी</ref> से निकालकर बाँस के डाले में पैर रखवाते हुए कोहबर तक ले जाया जाता है। वह जमीन पर पैर नहीं रख सकती। कोहबर में चुमावन आदि की विधि सम्पन्न करने पर उसे पति के साथ दही-चीनी खिलाने की प्रथा है</ref> बहुआ सुलच्छन आयो॥3॥
धन धन भाग तोरा कवन साही।
बेटा पुतोह घर आयो, बहुआ सुलच्छन आयो॥4॥
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