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समधिन / नज़ीर अकबराबादी
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13:52, 6 अगस्त 2015
लटकती चाल मदमाता चले बिच्छू<ref>पैर की उँगली में पहना जानेवाला जेवर यानी बिछुवा</ref> को झनकाती
अदा में दिल
लिये
लिए
जाती अजब समधिन हमारी है
भरे जोबन पै इतराती झमक अँगिया की दिखलाती
अनिल जनविजय
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