जिब्रान बनकर तुमने कहा था --
"प्रेम जब भी तुम्हे पुकारे, उसके पीछे चल पड़ो,
यद्यपि उसके रास्ते बीहड़ और दुर्गम हैं।हैं ।"
और तुम्हारी इस अनंत पुकार पर
और इतने युगों के बाद वापस आई हूँ धरती पर
तुम्हारे और
सिर्फ तुम्हारे लिए।लिए ।
अपने हिसाब से तुमने कभी अपने प्रेम को मेरे पैरों में
जब इनसान ख़ुद से ख़ुद को बाँधता है और
एक-दूसरे से बाँधता है तो
वह स्वयं को ईश्वर से बाँधता है.।
तुम बतलाते हो प्रेम से प्रेरित कर्म की परिभाषा :