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ऎसा आदमी था मैं / असद ज़ैदी
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12:53, 30 अगस्त 2015
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ऎसा
ऐसा
आदमी था मैं कि
हॊंठ
होंठ
नहीं थे
बोल नहीं सकता था जो सोचता था
कि अन्दर ही अन्दर ख़ुश रहता था
अनिल जनविजय
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