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इन्क़लाब-3 / अनिल पुष्कर
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08:44, 31 अगस्त 2015
जीनियस ‘ज़ीरो’ के बरक्स
कोई बादशाह मुक़ाबला कर सकता है क्या ?
गेहूँ बादशाहों से ज़्यादा ज़रूरी है
.
।
(तालियाँ) एक इन्क़लाब आया
.
।
एक ख़याल उमड़ा
रोज़-रोज़ यूँ इन्क़लाब आता है क्या ?
</poem>
अनिल जनविजय
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