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हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए / दुष्यंत कुमार
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15:55, 19 मार्च 2007
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,<br>
सारी
मेरी
कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।<br><br>
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,<br>
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।<br><br>
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220.227.174.131