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17:49, 27 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=धीरेंद्र कुमार यादव
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>बीच अखाड़े में आकर के
चूहे जी चिल्लाए,
है कोई जो कुश्ती लड़ने
आज सामने आए।
‘मुझसे लड़ लो’
बढ़कर बोली-
बिल्ली मौसी आगे।
भूल पहलवानी चूहे जी,
तुरत वहाँ से भागे!
</poem>