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|रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
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<poem>किताबों में बिल्ली ने बच्चे दिए हैं,
ये बच्चे बड़े हो के अफसर बनेंगे!
दरोगा बनेंगे किसी गाँव के ये,
किसी शहर के ये कलेक्टर बनेंगे!
न चूहों की इनको जरूरत रहेगी,
बड़े होटलों के मैनेज़र बनेंगे!
ये नेता बनेंगे और भाषण करेंगे,
किसी दिन विधायक मिनिस्टर बनेंगे!
पिलाऊँगा मैं दूध इनको अभी से
मेरे भाग्य के ये रजिस्टर बनेंगे!
</poem>
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