548 bytes added,
01:54, 28 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विष्णुकांत पांडेय
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>गदहे ने अखबार उलटकर
नजर एक दौड़ाई,
बोला-गाड़ी उलट गई है
गजब हो गया भाई।
बंदर हँसकर बोला-देखो,
उल्टा है अखबार,
इसीलिए उलटी दिखती है
सीधी मोटर कार!
</poem>