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कद्दू की बारात / शांति अग्रवाल

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<poem>कद्दू जी की चली बरात,
हुई बताशों की बरसात!

बैंगन की गाड़ी के ऊपर
बैठे कद्दू राजा
शलजम और प्याज ने मिलकर
खूब बजाया बाजा!

मेथी, पालक, भिंडी, तोरी
टिंडा, मूली, गाजर,
बने बराती नाच रहे थे
आलू, मटर, टमाटर!

कद्दू जी हँसते-मुस्काते
लौकी दुल्हन लाए
कटहल और करेले जी ने
चाट पकौड़े खाए!

प्रातः पता चली यह बात,
सपना देखा था यह रात!
</poem>
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