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04:46, 28 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=शांति अग्रवाल
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|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>अभी खबर लंदन से आई,
मक्खी रानी उसको लाई!
भुनगे ने हाथी को मारा,
हाथी क्या करता बेचारा!
घुस बैठा मटके के अंदर,
मटके में थे ढाई बंदर!
उन्हें देखकर हाथी रोया,
रोते-रोते ही वह सोया!
रुकी न पर आँसू की धारा,
मटका बना समंदर खारा!
लगे डूबने हाथी बंदर,
तब तक आया एक कलंदर!
पर वह उनको पकड़ न पाया,
उसने फौरन ढोल बजाया!
उसको सुनकर आया मच्छर,
उसने लात जमाई कसकर!
फूटा मटका, बहा समंदर,
निकल पड़े सब हाथी बंदर!
</poem>