664 bytes added,
05:23, 28 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बालकवि बैरागी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>गोरे-गोरे चाँद में धब्बा
दिखता है जो काला काला,
उस धब्बे का मतलब हमने
बड़े मजे से खोज निकाला।
वहाँ नहीं है गुड़िया बुढ़िया
वहाँ नहीं बैठी है दादी,
अपनी काली गाय सूर्य ने
चँदा के आँगन में बाँधी।
</poem>