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खुद सागर बन जाओ / बालकवि बैरागी

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<poem>नदियाँ होतीं मीठी-मीठी
सागर होता खारा,
मैंने पूछ लिया सागर से
यह कैसा व्यवहार तुम्हारा?
सागर बोला, सिर मत खाओ
पहले खुद सागर बन जाओ!
</poem>
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