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18:47, 29 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अब्दुल मलिक खान
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>तान तड़ातड़-तान तड़ातड़
पानी पड़ता पड़-पड़-पड़!
तरपट-तरपट टीन बोलते,
सूखे पत्ते खड़-खड़-खड़।
ठुम्मक-ठुम्मक झरना ठुमका,
इठलाती जलधार चली।
खेतों में हरियाली नाची,
फर-फर मस्त बयार चली।
टप्पर-टप्पर, छप्पर-छप्पर,
टपक रहे हैं टप-टप-टप।
त्योहारों का मौसम आया,
हलुआ खाएँ गप-गप-गप।
झिरमिर-झिरमिर मेवा बरसे,
फूल बरसते पानी के।
कागज की नावें ले आईं
दिन प्यारे गुड़धानी के।
</poem>