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19:08, 29 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=अश्वघोष
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<poem>नानी-नानी! कहो कहानी,
समय नहीं है, बोली नानी।
फिर मैंने पापा को परखा,
बोले-समय नहीं है बरखा।
भैया पर भी समय नहीं था,
उसका मन भी और कहीं था।
मम्मी जी भी लेटी-लेटी,
बोलीं-समय नहीं है बेटी।
मम्मी, पापा, नानी, भैया,
दिन भर करते ता-ता-थैया।
मेरी समझ नहीं आता है,
इनका समय कहाँ जाता है!
</poem>