Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सत्य प्रकाश कुलश्रेष्ठ |अनुवादक=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सत्य प्रकाश कुलश्रेष्ठ
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>सुनी सुनाई या मनमानी,
कहो कहानी, तुम्हें सुनानी,
जोर-जोर से कही कहानी।
‘हूँ हूँ’ होवे अहो कहानी,
चुप-चुप, चुप-चुप सुनो कहानी।
पोदा रानी, पोदा रानी,
चूल्हे की थी वह दौरानी।
एक रोज की तुम सुन पाओ,
कान इधर को अपना लाओ।
चूल्हे में जब आग जल रही
धधक-धधककर धूँ,
कान इधर को अपना लाओ
काना-बाती कूँ।

-साभार: बालसखा, अक्तूबर, 1946, 361
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits