645 bytes added,
15:42, 2 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पद्मा चौगांवकर
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>आसमान में
बजे नगाड़े,
या बुढ़िया-
दलती सिंघाड़े!
भूरे काले बादल,
जोर-जोर से
पढ़ें पहाड़े।
झर-झर बूँदें,
बरसे मोती,
बुढ़िया अपनी
चकिया धोती!
या फिर-
कोई छोटी बदली,
कक्षा में
पिटकर है रोती!
</poem>