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13:36, 3 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सीताराम गुप्त
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|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>ग्वाला चला दूध देकर जब,
उससे बोली नानी,
इतना पतला दूध आज है
मिला दूध में पानी!
ग्वाला बोला-भैंस ताल में
जा बैठी कल शाम,
इससे दूध हुआ कुछ पतला
पानी का क्या काम!
</poem>