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19:35, 3 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=त्रिलोक महावर
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|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>दूध भरे दूधिया कटोरे
चंदा मामा, गोरे-गोरे!
तुम्हें घेर रखते हैं
रातों में तारे,
कभी-कभी रात छोड़
दिन में भी आ रे।
खेल-कूद संग मेरे सो, रे
चंदा मामा गोरे-गोरे!
बोलो तुम आओगे
क्या मोटरकार में
आ जाना, आ जाना
अबके रविवार में
देखे, मत मारना टपोरे
चंदा मामा गोरे-गोरे!
देखो तो आकर के
कैसे हम रहते,
सुननाा वो सब हमसे
बाबा जो कहते।
ले आना तारों के छोरे
चंदा मामा गोरे-गोरे!
</poem>