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19:55, 3 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोपीचंद श्रीनागर
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>दीदी दिल्ली जाएगी,
छोटू ढोल बजाएगा,
दीदी जी को शादी में,
डोली में बिठलाएगा!
पापा पापड़ परसेंगे,
बाबा बरफी लाएँगे,
सभी बराती शादी में
छक-छक भोग लगाएँगे।
मेरे जीजा घोड़ी पर,
साफा बाँधे आएँगे,
बाजे वाले कुछ आगे
मीठी तान लगाएँगे।
मम्मी मेरी खुश होगी
दीदी मन मुसकाएँगी,
पर दीदी के जाने पर
माँ आँसू टपकाएँगी!
मेरी दीदी सज-धजकर,
जीजा के घर जाएगी,
जब मैं खाना खाऊँगा
याद बहुत वह आएगी!
</poem>