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राजा-रानी / जयप्रकाश भारती

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<poem>एक था राजा
एक थी रानी,
दोनों करते-
थे मनमानी।

राजा का तो
पेट बड़ा था,
रानी का भी-
पेट घड़ा था!

खूब थे खाते
वे छक-छककर,
फिर सो जाते
थे थक-थक कर!

काम यही था
बक-बक, बक-बक,
नौकर से बस
झक-झक, झक-झक!
</poem>
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