Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रपाल सिंह यादव 'मयंक' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चंद्रपाल सिंह यादव 'मयंक'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>छू, काली कलकत्ते वाली!
तेरा वचन न जाए खाली।
मैं हूँ जादूगर अलबेला,
असली भानमती का चेला।
सीधा बंगाले से आया,
जहाँ-जहाँ जादू दिखलाया।
सबसे नामवरी है पाई,
उँगली दाँतों-तले दबाई।
जिसने देखा खेल निराला,
जादूगर बंगाले वाला,
जमकर खूब बजाई ताली!

वह ही मंत्र-मुग्ध हो जाता,
पैसा नहीं गाँठ से जाता।
चाहूँ तिल का ताड़ बना दूँ,
रुपयों का अंबार लगा दूँ।
अगर कहो, तो आसमान पर,
तुमको धरती से पहुँचा दूँ।
ऐसे-ऐसे मंतर जानूँ,
दुख-संकट छू-मंतर कर दूँ,
बने कबूतर, बकरी काली।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits