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17:57, 4 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=रामनिरंजन शर्मा 'ठिमाऊ'
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<poem>गली और गलियारे सुंदर
दूर शहर से मेरा गाँव,
निशि-दिन साफ हवा चलती है
मुझको प्यारा मेरा गाँव!
शोर-शराबा यहाँ नहीं है,
धूल धुएँ का काम नहीं है,
शीतल है पेड़ों की छाँव!
चहुँ-दिश हरियाली छाई है,
मंद पवन मन को भाई है,
यहाँ न जलते मेरे पाँव।
खेतों में फसलें भरपूर,
भूख, गरीबी-सबसे दूर,
हर घर में हैं पक्के ठाँव।
</poem>