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हमारा संसार / रामावतार चेतन

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<poem>ता-री, री-री, ता-रा, रा-रा,
नन्हा-सा संसार हमारा!
नन्हे अपने खेल-खिलौने,
हाथी ऊँट सभी हैं बौने।
नन्हे अपने मंदिर-मस्जिद,
नन्हा-सा अपना गुरुद्वारा!
ता-री, री-री, ता-रा, रा-रा!

अमर हमारी वानर सेना,
अन्यायी का करे चबेना।
हम में छोटा बड़ा न कोई,
अमर हमारा भाई-चारा!
ता-री, री-री, ता-रा, रा-रा!

आँधी आए चाहे पानी,
याद नहीं आएगी नानी।
चमकाएँगे आसमान में,
भारत माँ का भाग्य सितारा!
ता-री, री-री, ता-रा, रा-रा!

-साभार: पराग, जनवरी, 1978
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