Changes

मेढक की सैर / मंगरूराम मिश्र

562 bytes added, 06:08, 5 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मंगरूराम मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मंगरूराम मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>छाता ताने चला रात में, मेढक करने सैर,
बगुला भगत मिला जब उसको, लगा पूछने खैर।
बगुला बोला छाते से यह कैसी प्रीत लगाई,
तभी छींककर मेढक बोला-‘ओस पड़ रही भाई।’
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits