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13:05, 5 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रयाग शुक्ल
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>चिड़ियाघर, भई चिड़ियाघर,
इसके अंदर है बंदर।
पानी वाला बड़ा मगर,
बत्तख, भालू, शेर बबर।
बारहसिंगे का यह घर,
चिड़ियाघर, भई चिड़ियाघर
</poem>