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आज जो बेबसी का आलम है,
मेरी हस्ती मिटा के दम लेगा।
ग़म छुपाने से कम नहीं होते,मेरे भीतर कई समन्दर हैंसब्र के रोज़ इम्तिहां होंगे।इतने इम्तिहाँ होंगेजब यह हिम्मत जबाव दे देगी,वक्त भी साथ अपना कम देगा।वक़्त चूलें हिला के दम लेगा
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