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चाँद / यादराम 'रसेंद्र'

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<poem>मम्मी से यों रोकर बोली-
मेरी जीजी नंदा-
जाऊँगी स्कूल तभी, जब
दिखला दोगी चंदा!
मम्मी बोली-चुप रह बिटिया
कहना मेरा मान,
पापा जी का हैट हटाकर
उधर देख आ चाँद।
</poem>
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