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13:14, 6 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विनोदचंद्र पांडेय 'विनोद'
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>ये जामुन काले-काले हैं!
जब बादल जल बरसाते हैं,
ये पेड़ों पर पक जाते हैं,
भौंरों-सा रूप दिखाते हैं,
करते सबको मतवाले हैं!
होते सब खूब रसीले हैं
बैंगनी, लाल या नीले हैं
सब के सब रंग-रंगीले हैं,
सुंदर सुकुमार निराले हैं!
देखो, डालों पर लटके हैं,
गिरते जब लगते झटके हैं,
बच्चे खाते डट-डट के हैं,
बेचते इन्हें फलवाले हैं!
मानो रस में ही पगते हैं,
सबको ही अच्छे लगते हैं,
ले भी लो बिल्कुल सस्ते हैं,
सब पर जादू-सा डाले हैं!
ये जामुन काले-काले हैं!
</poem>