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पवन चक्की / शेरजंग गर्ग

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<poem>हवा चले तेज-तेज
चले पवन चक्की,
चक्की में खूब पिसे-
गेहूँ और मक्की।
आटे से केक बने
और बने रोटी,
खा-खाकर गुड़िया भी
हो जाए मोटी।
</poem>
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