915 bytes added,
23:10, 6 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=देवेंद्र कुमार 'देव'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>चिक्कड़-बम भई चिक्कड़-बम,
मौसम ठंडा, चाय गरम!
चिक्कड़-बम भई, चिक्कड़-बम!
ठिठुरन झेली चंदा ने
ओढ़ रजाई सोए हम,
चिक्कड़-बम भई चिक्कड़ बम!
सूरज काँपे थर-थर-थर,
हवा गा रही रम पम पम,
चिक्कड़-बम भई चिक्कड़ बम!
कौन भला निकले बाहर
कोहरा ठोंक रहा है खम
चिक्कड़-बम भई चिक्कड़ बम!
-साभार: नंदन जनवरी 1997, 18
</poem>