Changes

मन करता है / कमलेश भट्ट 'कमल'

1,013 bytes added, 23:27, 6 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कमलेश भट्ट 'कमल' |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= कमलेश भट्ट 'कमल'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>मन करता है, किसी रात में
चुपके से उड़ जाऊँ,
आसमान की सैर करूँ फिर
तारों के घर जाऊ
देखूँ कितना बड़ा गाँव है
कितनी खेती-बारी,
माटी-धूल वहाँ भी है कुछ
या केवल चिनगारी।
चंदा के सँग क्या रिश्ता है
सूरज से क्या नाता
भूले-भटके भी कोई क्यों
नहीं धरा पर आता।
चाँदी जैसी चमक दमक, फिर
क्यों इतना शरमाते,
रात-रात भर जागा करते
सुबह कहाँ सो जाते?
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits