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15:03, 14 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=दिनेश कुमार स्वामी 'शबाब मेरठी']]
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<poem>
मेरी ज़िन्दगी तेरा शुक्रिया मुझे ज़िन्दगी से मिला दिया
मुझे इसका अब कोई ग़म नहीं मेरा वक़्त कितना गँवा दिया
कहीं क्या उसी का ये काम है इसे सोचते थे भुला दिया
कभी जग गये तो सुला दिया कभी सो गये तो जगा दिया
बड़ी मुद्दतों से पता चला तुझे भूल जाना मुहाल है
तेरी याद तो तेरी याद है ये दिया नहीं जो भुला दिया
जिसे मैं समझता था दूर है वही दिल के इतना क़रीब है
कभी हँस दिये रुला दिया कभी रो दिये तो हँसा दिया
</poem>