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ओ पृथ्वी! / असंगघोष
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21:31, 15 अक्टूबर 2015
शेषनाग
उनके इशारे पर
हम मारे जाएँगे शंबूक के मानिंद?
हम नहीं मानते
तुम किसी ऐरा-गैरा के
फन पर टिकी हो
हमारे लिए तुम झुकी रहो
उनको गाने दो
प्रशंसा में गीत
भयभीत हो
मंत्रोच्चार करने दो
बस तुम
इसी तरह
झुकी रहो
</poem>
Lalit Kumar
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