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<poem>पच्चीस साल की उम्र
कम नहीं होती
एक लड़की के लिए
दुनिया को देखते देखते
यूं ही आ जाता है
पच्चीसवां साल
वह जी लेती है
अपनी उम्र का
अपने हिस्से का प्रेम
संभालकर रख लेती है
प्रेम के बरसों को...

सोलहवें साल की कच्ची लड़की की तरह
नहीं जी सकती वह प्रेम
प्रेम में रहकर

इस दौरान और भी तो घटनाएं
जुड़ती हैं उसके पच्चीसवें साल में

प्रेमी के साथ रहते हुए
वह रखना चाहती है
पुनर्जीवन की तलहटी में
अपनी उम्र का पच्चीसवां साल
</poem>
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