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अब तो मज़हब / गोपालदास "नीरज"

No change in size, 04:02, 16 अगस्त 2008
गीत उन्मन है, ग़ज़ल चुप है, रूबाई है दुखी
ऐसे माहौल में ‘नीरज’ को बालाया बुलाया जाए।