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पुनरागमन / हेनरिख हायने
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16:39, 19 अक्टूबर 2015
इतना ही विशुद्ध, दिव्य और आकर्षक ।।
'''मूल जर्मन से
अनूदित
अनुवाद
-- प्रतिभा उपाध्याय'''
</poem>
अनिल जनविजय
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