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00:05, 21 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= संतोष मायामोहन
|संग्रह=जळ विरह / संतोष मायामोहन
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>बूंद पड़्यां
पिरथी तळ
छम-छम नाचै जळ।
बावड़ी हरखै
बरसण री आस
जीवै जळ।
नीं बरस्यां सूक मरै
विरह।
</poem>
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